वर्क फ्रॉम होम करने वालों में बढ़ रही है इस बीमारी की आशंका

वर्क फ्रॉम होम करने वालों में बढ़ रही है इस बीमारी की आशंका

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस की वजह से देश में काम बंद पड़े है लोगों से घरों में रहने की अपील की गई है। कहा गया है कि जितना हो सके वो घरों में रह कर ही काम करें। क्योंकि ये महामारी एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है। इसी का नतीजा है कि अधिकतर लोगों को घर में रहते हुए काम करना पड़ रहा है। घर में काम करते करते कई लोगों को काफी सूकुन मिल रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि वर्क फ्रॉम होम आपको बीमार बना सकता है। जी हां क्योंकि एक नए अध्ययन में पता चला है कि जो लोग जरूरत से ज्यादा काम करते हैं, उनको अंडरएक्टिव थायरॉइड होने की संभावना दोगुनी होती है। इस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है।

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अध्ययन के मुताबिक, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती हैं। अपर्याप्त थायरॉइड हार्मोन उत्पादन के कारण मेटाबॉलिक ग्लैंड धीमा हो जाता है। इस वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हृदय रोग और मधुमेह विकसित हो जाती हैं। थायरॉइड ग्रंथि कई हार्मोन पैदा करती है, जिससे कई प्रकार के कार्य होते हैं।

थायरॉइड द्वारा उत्पादित हार्मोन हृदय की कार्यप्रणाली, पाचन मांसपेशियों के नियंत्रण, मस्तिष्क के विकास और हड्डियों के रख-रखाव को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि जो लोग एक सप्ताह में 53 घंटे से अधिक काम करते हैं, उनमें अंडरएक्टिव थायरॉइड विकसित होने की संभावना अधिक होती है। अध्ययन में देखा गया कि जिन लोगों ने सप्ताह में 53 घंटे से अधिक काम किया, उनमें 36 से 42 घंटे काम करने वाले लोगों की तुलना में हाइपोथायरायडिज्म होने की संभावना दोगुना थी।

दक्षिण कोरिया के गोयांग-सी में स्थित राष्ट्रीय कैंसर केंद्र में प्रमुख शोधकर्ता यंग की ली ने कहा कि जरूरत से ज्यादा कार्य करना दुनियाभर के कामकाजी लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए एक गंभीर समस्या है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा अध्ययन यह दिखाता है कि लंबे घंटों तक काम करना हाइपोथायरायडिज्म से संबंधित है।

शोधकर्ताओं ने उन लोगों में हाइपोथायरायडिज्म का अधिक खतरा देखा, जिन्होंने अपनी सामाजिक आर्थिक स्थिति और संबंधों की परवाह किए बिना लंबे समय तक काम किया। अध्ययन के मुताबिक, यह विकार पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।

इस अध्ययन के परिणाम एंडोक्राइन सोसाइटी नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ता ली ने कहा सप्ताह में 53 से 83 घंटे के बीच कार्य करना प्रतिदिन के 10.5 से 16.5 घंटे के बराबर होता है।

 

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